Wednesday, April 7, 2010

बाल पहेलियां (पशु-पक्षी)... (दीनदयाल शर्मा)

विशेष नोट : बच्चों को सिखाने के लिए सदा कुछ नया ढूंढता रहता हूं, सो, अचानक श्री दीनदयाल शर्मा द्वारा लिखित ये पहेलियां मिलीं... डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू.कविताकोश.ओआरजी (www.kavitakosh.org) के अनुसार श्री शर्मा का जन्म 15 जुलाई, 1956 को राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित नोहर तहसील के जसाना गांव में हुआ था... श्री शर्मा 'लंकेश्वर', 'महाप्रयाग', 'दिनेश्वर' आदि उपनामों से लेखन करते रहे हैं, तथा हिन्दी और राजस्थानी भाषाओं में शिशु-कविता और बाल-काव्य के क्षेत्र में जाना-पहचाना नाम हैं... इस पोस्ट की पहेलियों के उत्तर इसी पोस्ट के अंत में देखें...

1.जंगल में हो या पिंजरे में,
रौब सदा दिखलाता,
मांसाहारी भोजन जिसका,
वनराजा कहलाता...

2.गोल-गोल हैं जिसकी आंखें,
भाता नहीं उजाला,
दिन में सोता रहता हरदम,
रात विचरने वाला...

3.हमने देखा अजब अचम्भा,
पैर हैं जैसे कोई खम्भा,
थुलथुल काया, बड़े हैं कान,
सूंड इसकी होती पहचान...

4.सरस्वती की सफ़ेद सवारी,
मोती जिनको भाते,,
करते अलग दूध से पानी,
बोलो कौन कहाते...

5.कान बड़े हैं, काया छोटी,
कोमल-कोमल बाल,
चौकस इतना पकड़ सके न,
बड़ी तेज़ है चाल...

6.राग सुरीली रंग से काली,
सबके मन को भाती,
बैठ पेड़ की डाली पर जो,
मीठे गीत सुनाती...

7.सुबह-सवेरे घर की छत पर,
करता कांव-कांव,
काले रंग में रंगा है पंछी,
मिलता गांव-गांव...

8.कुकडूं-कूं जो बोला करता,
सबको सुबह जगाता,
सर पर लाल कलंगी वाला,
गांव घड़ी कहलाता...

9.नर पंछी नारी से सुन्दर,
वर्षा में नाच दिखाता,
मनमोहक कृष्ण को प्यारा,
राष्ट्र पक्षी कहलाता...

10.हरी ड्रेस और लाल चोंच है,
रटना जिसका काम,
कुतर-कुतरकर फल खाता है,
लेता हरि का नाम...

11.गले में कम्बल, पीठ पर थुथनी,
रखती है थन चार,
दूध, घी और देती बछड़ा,
करते हम सब प्यार...

12.बोझा ढोता है जो दिन भर,
करता नहीं पुकार,
मालिक दो होते हैं जिसके,
धोबी और कुम्हार...

13.चोरों पर जो झपटा करता,
घर का है रखवाला,
इसकी भौं-भौं से डर जाता,
चाहे हो दिलवाला...

14.लम्बी गर्दन, पीठ पर कूबड़,
घड़ों पानी पी जाए,
टीलों पर जो सरपट दौड़े,
मरुथल जहाज़ कहाए...

15.तांगा, बग्घी, रथ चलाते,
मन करे तो हिनहिनाते,
चने चाव से खाते हैं,
खड़े-खड़े सो जाते हैं...

16.टर्र-टर्र जो टर्राते हैं,
जैसे गीत सुनाते,
जब ये जल में तैरा करते,
पग पतवार बनाते...

17.चर-चर करती, शोर मचाती,
पेड़ों पर चढ़ जाती,
काली पत्तियां तीन पीठ पर,
कुतर-कुतर फल खाती...

18.छोटे तन में गांठ लगी है,
करे जो दिन भर काम,
आपस में जो हिलमिल रहती,
नहीं करती आराम...

19.पानी में ख़ुश रहता हरदम,
धीमी जिसकी चाल,
ख़तरा पाकर सिमट जाए झट,
बन जाता खुद ढाल...

20.छत से लटकी मिल जाती है,
छह पग वाली नार,
बुने लार से मलमल जैसे,
कपड़े जालीदार...




उत्तर :
1. शेर
2. उल्लू
3. हाथी
4. हंस
5. खरगोश
6. कोयल
7. कौवा
8. मुर्गा
9. मोर
10. तोता
11. गाय
12. गधा
13. कुत्ता
14. ऊंट
15. घोड़ा
16. मेंढक
17. गिलहरी
18. चींटी
19. कछुआ
20. मकड़ी

3 comments:

  1. वाह! बहुत ही अच्छी पहेलियाँ है ये सभी .
    बच्चों से पूछने के काम आयेंगी
    बहुत बहुत धन्यवाद.

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  2. शर्मा जी, खूबसूरत तरीके से आसान शब्दों में पहेलियां लिखी हैं आपने, सो, मेरी बधाई स्वीकारें...

    इसके अतिरिक्त अनुरोध करूंगा कि मेरी क्षमा भी स्वीकारें, कि सम्पर्क के किसी सूत्र की जानकारी न होने के कारण सूचना देना मेरे लिए संभव न था... जहां से मैंने आपकी ये पहेलियां उतारीं (कविताकोश), वहां भी कोई सम्पर्क का साधन न दिया गया था... सूचना दिए बिना प्रकाशन के लिए एक बार फिर क्षमाप्रार्थी हूं, और आशा करता हूं, इसे अपनी पहेलियों को अधिक बच्चों तक पहुंचाने में सहयोग मानेंगे, और हृदय से क्षमा करेंगे... :-)

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