नए साल को लेकर मेरे मन में घुमड़ रहे विचार...
हो साल नया, पर काल वही है, वही हैं हम, और चाल वही है...
देश वही है, वही है मिट्टी, पत्ते-पौधे, छाल वही है...
वही हैं खुशियां, ग़म वैसे ही, शोक और उन्माद वही है...
कितना ही, कोई भी रोके, मौन वही, संवाद वही है...
कुछ ऐसा हो, साल नए में, मुझको बदले, बेहतर कर दे...
सबको सब कुछ देता जाऊं, पाऊं कुछ तब, ऐसा वर दे...
मेरे सभी मित्रों और उनके परिजनों के लिए नया साल सब कुछ नया लेकर आए - खुशियां, हर्ष, उल्लास...
हार्दिक शुभकामनाएं...
हो साल नया, पर काल वही है, वही हैं हम, और चाल वही है...
देश वही है, वही है मिट्टी, पत्ते-पौधे, छाल वही है...
वही हैं खुशियां, ग़म वैसे ही, शोक और उन्माद वही है...
कितना ही, कोई भी रोके, मौन वही, संवाद वही है...
कुछ ऐसा हो, साल नए में, मुझको बदले, बेहतर कर दे...
सबको सब कुछ देता जाऊं, पाऊं कुछ तब, ऐसा वर दे...
मेरे सभी मित्रों और उनके परिजनों के लिए नया साल सब कुछ नया लेकर आए - खुशियां, हर्ष, उल्लास...
हार्दिक शुभकामनाएं...
नया साल आप के और आप के परिवार ,प्रियजनों ,मित्रों के लिए ढेर सारी खुशियाँ ,हर्ष उल्लास ले कर आये....अनेकानेक शुभकामनाएँ विवेक जी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया, अल्पना जी... :-)
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